गुरुवार, 18 अक्तूबर 2012

जामाता नम:

कहते हैं समय अपने को दोहराता है
आज फिर यह यक्ष प्रश्न आ खड़ा हुआ है।
पुरानी कहावत थी
जामता दशमों ग्रह
वह कहावत बनी थी क्योंकि हम नवग्रहों की पूजा करते हैं
ग्रहों की विपरीत दशा से बचने के लिए उन्हे फल फूल चढ़ाते हैं
चूंकि जामाता को भी अक्सर धन फल पुष्प चढ़ना पढ़ता था ताकि बिटिया खुश रहे।
इसलिए नाम दिया था जामाता दशमों गृह
आज यह कहावत पुन: सही लग रही है।
इस दशम ग्रह  की दशा सभी नवग्रहों की शुभता पर भारी पड़ रही हैं।
पता नहीं यह दशा परिवार पर कितने कष्ट ढाएगी
इसलिए पुन: कहना पड़ रहा है
जामाता नम:
जामता दशमों ग्रह

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

मूर्तिया


कौन कहता है की
मुगलिया खानदान के वारिस नहीं बचे
हम है असली वारिस उस
मुगलिया परंपरा के
जिसमें असुरक्षित सम्राट
अपना मकबरा खुद ही बनवा देता था
उसे मालूम था
उसके उत्तराधिकारी उसे अच्छी
कब्र भी नहीं नसीब होने  देंगे
उसी परंपरा पर चलते हुए
मैंने अपनी मूर्तिया  बनवाई है
क्यूंकि मुह्जे मालूम है की
कल के इतिहास मैं मेरी
जगह क्या होगी
मूर्तिया  गद्वाकर मैंने
अपना नाम तो सुरक्षित कर ही लिया है
क्यूंकि मुह्जे मालूम है
इस देश में मुर्तिभंज़क  नहीं है
अत: मेरी मूर्तिया  और
मेरा नाम सुरक्षित रहेगा
आखिर अम्रतः की चाह
किसे नहीं होती
इन मूर्तिया से मैं तो अमर रहूंगी
भले कल उन पर चिड़िया बिट करे
या आवारा कुत्ते उसके पास घुमे




नए सीरियल

वो भी एक दौर था 
यह भी एक दौर है
उस दौर मे
उड़ान  जसी  सीरियल थे
कितनी लड्कियौं
     ने प्रेणना   ली
मुक्त आकाश में उड़ने की
नयी ऊचईया छूने  की
  वह सुरुआत थी
नारी सशक्तिकरण की
एक नए भारत जागरण की
पर यह क्या नया दौर है 
हर सीरियल में
दिखाते है
नारी कैसे पिटती है
कैसे एक पढ़ी लिखी लड़की
अत्याचार सहती है
लड़की कहती है
पिताः के घर से डोली
और
पति के घर से अर्थी उठती है
आखिर ईक्कीसवी  सदी की
लड़की को हम क्या
सिखाना  चाहते है
की  पति के आवारा दोस्तों को
शराब सर्व करना
पति धर्म है
सामाजिक बुराई  दिखाने की आड में
किस मानसिकता को बढ़ावा देते है
दिखाते है की शिक्षा का
रूढ़ीवाद पर कोई असर नहीं होता
लानत है इन चंनेल्स पर
लानत है इस
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर
उड़ान से भाग्याविधता
की यह यात्रा
सचमुच बहुत दुर्भायपूर्ण है
पता नहीं
TRP  की दौर
और क्या -क्या दिकलाएगी